Vipin Bansal

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पावन डोर

( पावन जन्म, मरण की विवाह की डोर ! 

रिश्तों की यह पावन डोर !! 
कैसे कच्ची हो गई डोर ! 
क्यों बिखरे मोती अनमोल !! 

जन्म, मरण की विवाह की डोर ! 
रिश्तों की यह पावन डोर !! 

जन्म-जन्म का जो था नाता ! 
संग जीने मरने का वादा !! 
क्यों बदला वो है इरादा ! 
इतने कच्चे हो गए बोल !! 

जन्म, मरण की विवाह की डोर ! 
रिश्तों की यह पावन डोर !! 

खुली न आँखे, ढ़ल गई छाया ! 
बनके फरिश्ता घर में आया !! 
प्यार का जो फूल खिलाया ! 
लगा दिया क्यों उसका मोल !! 

जन्म, मरण की विवाह की डोर ! 
रिश्तों की यह पावन डोर !! 

इतने कच्चे हो गए इरादे ! 
चंद कदमों में टूटे वादे !! 
सीरत में आया झोल ! 
रिश्तें भी हो गए खोल !! 

जन्म, मरण की विवाह की डोर ! 
रिश्तों की यह पावन डोर !!

      विपिन बंसल

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

05-Oct-2021 11:48 AM

Nice

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🤫

03-Oct-2021 10:17 PM

बहुत बढ़िया....

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